Sunday, February 1, 2009

मानव जीवन का परम लक्ष्य भगवत्प्रेम की प्राप्ति:

मानव जीवन का परम लक्ष्य भगवत्प्रेम की प्राप्ति: आप अपने बच्चों को पढाते हैं, क्या उन्हें जीवन का लक्ष्य बतलाते हैं? यदि नौकरी करके पेट भरना ही जीवन का लक्ष्य है , तो पेट तो पशु भी भरते हैं मानवीय लक्ष्य्नों जैसे सत्य , इमानदारी , दया व जीव मात्र के प्रति यदि प्रेम भाव नही तो हम पशु समान ही हुए सत्यम का मालिक करोड़पति होकर भी चोर है, मुंबई का आई. पी.एस अधिकारी साजी ड्रग्स के धंधे में लिप्त है क्या ये पशु से भी अधिक नही हैं ?यदि सबके प्रति प्रेम होता तो अपने राष्ट्र से भी प्रेम होता जीव मात्र के प्रति प्रेम ही भगवत प्रेम में परिणत हो जाता है जिनके जीवन में प्रभु शरणागति का टिकेट प्राप्त हो जाता है , उनके जीवन में रोग, शोक, और भय नही होता यदि आप रोग, शोक और भय से मुक्त होना चाहते हैं तो तत्काल प्रभु शरणागति का टिकेट प्राप्त कर लीजिये प्रेम से गाइए :हरे कृष्ण हरे कृष्ण ,कृष्ण- कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम , राम -राम हरे हरे शेष फ़िर .... चंद्रसागर

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