१ )लोकतंत्र में लोकमत ही सर्वोपरि होता है .ऐसे में चुनाव से पूर्व ही अपने को पि ऍम इन वेटिंग कहना अति दंभ का परिचायक है. 2) सन् 2004 में समय से छह माह पूर्व ही चुनाव कराकर भाजपा ने अति लोभी और सत्ता लोलुप होने का परिचय दे दिया था . उस समय विधान सभा के चुनाव में तीन प्रदेशों (राजस्थान , मध्य प्रदेश , गुजरात ) में बहुमत पाकर भाजपा अति लालच में डूब गया और अपना छह माह का शासन भी हाथ से गवां बैठा , 3) इस चुनाव में तो मानों भाजपा के बड़े नेताओं ने शपथ ले लिया हो की हम अशिष्ट और अभद्र भाषा का ही प्रयोग करेंगे : जबकि कांग्रेस का कोई भी बड़े नेता ने पलट कर जबाब भी नहीं दिया . कुछ उदाहरण देखिये :- a ) अडवानी कहते हैं - ' प्रधान मंत्री कमजोर हैं ......' b) नरेंद्र मोदी कहते हैं ;- प्रियंका बुढ़िया है , फिर कहा गुड़िया है ' क) वरुण गाँधी ने तो सारी हदें पार कर दी . हिंदुत्व पर किस भारतवासी को को गर्व नहीं होता, पर इसके लिए हाथ काटने की धमकी देने की क्या आवश्यकता है ? 4) श्री राम का नाम तो अब भाजपा के मुख से अपशब्द जैसा लगता है , भबिष्य में भाजपा को राम , हिंदुत्व और धर्म की राजनीति छोड़कर केवल विकास , महंगाई और भ्रष्टाचार उन्मूलन जैसे मुद्दों पर राजनीति करनी चाहिए , 5) शास्त्रों में एक कुशल राजा का लक्षण बताते हुए कहा गया है ;- अ) जिसके राज्य में कोई भूखा और निर्वस्त्र न रहे . ब) किसी निर्धन के साथ भी अन्याय न हो . स) कोई प्रजा निराश्रित न रहे अर्थात् सबके सिर पर छत हो . 6) अब हम सब भारत वासी इस नई सरकार से पूछ रहे हैं ;- क्या अब भारत का गरीब मिट्टी का तेल, गैस , गेहूं , चावल , चीनी सरसों का तेल व घी खरीद पायेगा ? ये मूलभूत प्राण रक्षक वस्तुयें यदि सस्ती हो जाए तो सबकी दुआएं मिलेंगी . ७) भाजपा पराजय की आत्म -मंथन करें और कांग्रेस विनम्रता के साथ विजय मुकुट की रक्षा करे . यही प्रभु से प्रार्थना है . chandrasagar |
Tuesday, May 19, 2009
दंभ लोभ और अशिष्टता ही 'भाजपा ' के पतन का कारण :
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