Saturday, January 31, 2009

रेल यात्रा में सत्संग का आनंद:

आज मै हरिद्वार से मोतिहारी जा रहा हूँ.\ जिस बोगी में मेरा सीट है ,उसमे कुछ लोग ताशखेल रहे हैं और कुछ लोग मेरे साथ सत्संग का लाभ ले रहे हैं.\आश्चर्य की बात है , ताश खेलनेवाले भी मेरे पास आकर बैठ गए\ अंतःकरण में सबको हरि कथा अच्छी लगती है .\ कोई नेता या अभिनेता कितना भी लोकप्रिय हो उसे लगातार दो दिन सुनना कोई पसंद नही करता किंतु हरी कथा या राम कथा लगातार सात दिन सुनना पसंद करते हैं , क्योंकि हरि चर्चा सबको अच्छी लगती है , तो फ़िर ताश के टुकडो में अपना अमूल्य समाया नष्ट क्यों किया जाए अपना बैंक बैलेंस कौन नहीं बढ़ाना चाहता ? तो फ़िर "नाम धन "का बैलेंस क्यों नही बढाते?
"काम करते चलो नाम जपते चलो,हर समय कृष्ण का ध्यान धरते चलो. नाम धन का खजाना बढाते चलो ,कृष्ण गोविन्द गोपाल गाते चलो "एक मिनट का समय भी बरबाद हुआ तो उसकी पूर्ति नही हो सकती.विचार कीजिये , शेष भगवत कृपा. चन्द्रसागर

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