Sunday, December 6, 2009

द्वादश ज्योतिर्लिंग

प्रश्न : द्वादश ज्योतिर्लिंग कौन से हैं ? कृपया भौगोलिक जानकारी अवश्य दें ?
उत्तर: शिव पुराण के कोटिरूद्र संहिता के अंतर्गत प्रथम अद्ध्याय के २१ वें
श्लोक से २४ वें श्लोक में द्वादश ज्योतिर्लिंग का वर्णन किया गया है :-
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनं/ उज्जयिन्यां महाकालमोंकारे परमेश्वरं//
केदारं हिम्वात्प्रिष्ठे डा किन्याम भीमशंकरम / वाराणास्याम च विश्वेशं त्र्ययम्बकम गौतमीतटे//
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने / सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं तू शिवालये//
द्वादशैतानि नामानी प्रातः उत्थाय यः पठेत / सर्व पापैर्विनिर्मुक्तः सर्व सिद्धिफलम लभेत//
१) सोमनाथ:- गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित वेरावल स्टेशन के पास यह प्रभास तीर्थ
के रूप में भी विख्यात है/
२) मल्लिकार्जुन :- आंद्रप्रदेश के कृष्णा तट पर श्री शैलम पर्वत पर स्थापित है /
यह चेन्नई प्रान्त के कृष्णा जिले में स्थित है और इसे दक्षिण का कैलाश
भी कहते हैं/
३) महाकालेश्वर :- मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है/
४) ओम्कारेश्वर:- नर्मदा नदी की दो धारायों के मध्य इस ज्योतिर्लिंग का स्थान ॐ
के आकार में है/ यह भी मध्य प्रदेश में उज्जैन से खंडवा के मार्ग पर
स्थित है/
५) केदारनाथ:- बद्रिकाश्रम से थोड़ी दूर पर हिमवत पार्श्व में केदार शिखर
पर मंदाकिनी नदी के तट पर यह शिवलिंग उत्तराखंड का सबसे
प्रसिद्ध तीर्थ है/
६) भीमशंकर:- मुंबई से पूर्व तथा पुणे से उत्तर में भीमा नदी के उद्गम स्थान
पर सह्याद्री के "डाकिनी" शिखर पर भीमशंकर प्रसिद्द ज्योतिर्लिंग है /
७) विश्वेश्वर :- काशी विश्वनाथ के नाम से संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध यह उत्तर-प्रदेश
के वाराणसी में स्थित है/
८) त्र्यम्बकेश्वर :- नासिक से लगभग तीस किलोमीटर दूर गोदावरी के उद्भव स्थल ब्रह्मगिरी में" त्र्यम्बकेश्वर " ज्योतिर्लिंग है/
९) वैद्यनाथ :- यह लंकाधिपति रावण द्वारा पूजित है /
बिहार में स्थित "जसीडिह" स्टेशन के पास इस ज्योतिर्लिंग पर लाखों कांवड़ चड़ते हैं/
१०) नागेश्वर :- द्वारिका पुरी के पास दारुक वन में स्थापित ज्योतिर्लिंग को नागेश्वर
कहते हैं/ स्व० गुलशन कुमार ने इस मंदिर का भव्य पुनर्निर्माण कराया था/
११) रामेश्वर:- यह तमिलनाडु के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित है/ यहीं पर श्री राम
ने सेतु बनवाया था , इसलिए इसे सेतुबंध तीर्थ भी कहते हैं/
१२) घुश्मेश्वर:- महाराष्ट्र में दौलताबाद से ११ कि०मी० दूर औरन्गावाद के नज़दीक
एलोरा की गुफायों के निकट स्थित है/ इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई
होल्कर ने कराया था/

Saturday, December 5, 2009

पांच पाप क्या हैं ?

प्र ० पांच पाप क्या हैं ? उनसे मुक्ति के उपाय भी बताने की कृपा करें ?ब्र० द्विजेन्द्र मिश्र ,हरिद्वार /
उत् ० पांच पाप निम्न लिखित हैं :-
पंचसूना गृहस्थस्य चुल्ली पेशंणु पस्करा :
कण्डनी उद्कुम्भ्श्च बद्धयते यास्तु बाह्यं //
तासां क्रमेण सर्वासां निश्क्रित्यार्थम महर्षिभिः
पञ्च कृत्वः महा यज्ञः प्रत्यहम गृहमेधिनाम //
अध्यापनं ब्रम्ह यज्ञः पित्री याग्यस्तु तर्पणं ,
होमो देवो बलिर्भूतो न्रियग्योअतिथि पूजनं //

गृहस्थ के लिए ही नहीं अपितु सभी के लिए ये ऊपर कहे ५ पाप लग ही जाते हैं/
१) रसोई (पाकशाला) में भोजन बनाने और उसकी लिपाई पुताई सफाई आदि
करने में चीटियाँ एवं अन्य अल्प प्राण जीवों की हत्या हो ही जाती है /
२) चक्की में गेंहूँ , मिक्स़र या ग्राइंडर में दाना , दालें ,मसाले अदि पीसने
के दौरान भी जीव हानि होती है /
३) घर की साफ़ सफाई झाड़ू -पौंचा (उस्टिंग) करने से भी जीव हानि होती है/
4) लकड़ी या उपले (गौसे) गोमय द्वारा निर्मित इंधन में भी कीट घर बनाकर
रहते हैं/ जो हमारे द्वारा रसोई पकाने हेतु चूल्हे या भट्टी में जलने से उनकी भी
जीवन हानि होती है/
५) पेय एवं अन्य उपयोगी जल संग्रहण स्थल पर भी चीटियाँ अंडे देती हैं,और
रहती हैं जो जलाहरण काल में दब कर मर जाती हैं/
इन ५ प्रकार के पापों को हम स्वयं के जीवनयापन सुख-सुविधार्थ
जाने अनजाने में करते रहते हैं/
अतः इन ज्ञाताज्ञात ५ पापों से मुक्ति हेतु ऋषियों ने ५ महायज्ञों का
विधान बतलाया है, जिनसे हम उपरोक्त ५ पापों से मुक्त रह सकते हैं/
१) विद्या दान द्वारा
२) देवर्षि, पित्र, एवं मनुष्य तर्पण श्राद्धादी करने के द्वारा
३) हवं-यज्ञादि (दैनिक अग्निहोत्र ) द्वारा/
४) बलि वैश्वदेव (गो ग्रास,श्वान, पिपीलिका,काक,अन्य मानव( दरिद्र नारायण,भिक्षुक,साधू,ब्राह्मण
एवं अतिथि को भोजन करने के द्वारा)
५) अतिथि सत्कार द्वारा/