Sunday, October 11, 2009

सर्व धर्म समन्वित राष्ट्र ही असली भारत का स्वरुप :चंद्र्सागर

सर्व धर्म समन्वित राष्ट्र ही असली भारत का स्वरुप :
भारत का सार्वभौमिक समभाव स्वरुप ही भारत का असली स्वरुप है / भारत के महान गणराज्य को
धर्म निरपेक्ष राष्ट्र कहना अनुचित होगा, अपितु भारत को सर्व धर्म समन्वित राष्ट्र कहना अधिक
सार्थक होगा / किसी एक वस्तु का निरपेक्ष दुसरे वस्तु का सापेक्ष होता है /
जैसे यदि कहा जाये अमुक व्यक्ति धार्मिक नहीं है तो इसका दो अर्थ हो सकता है : १) या तो वह
अधार्मिक है अथवा २) भले ही वह धार्मिक नहीं है किन्तु अन्य क्षेत्र के सेवा भावः के कारन वह
पूजनीय हो सकता है /
यदि वह धर्म के निरपेक्ष होगा तो अधर्म का सापेक्ष भी हो सकता है / तो क्या अधर्म के
सहारे कोई राष्ट्र अपनी प्रजा का कल्याण कर सकता है ? कदापि नहीं / इसलिए भारत को
धर्म निरपेक्ष न कहकर यदि सर्व धर्म समन्वित राष्ट्र कहा जाये तो अधिक सार्थक हो सकता
है / यहाँ सभी धर्म का समान आदर है / भारत का कोई भी नागरिक धर्म से निरपेक्ष नहीं
रह सकता / यदि निरपेक्ष रहता तो हमारे माननीय प्रधानमंत्री कभी मंदिर, कभी मस्जिद ,
या कभी गुरूद्वारे में जाकर चादर नहीं चडाते / वे स्वयं पगड़ी धारण करके हमें यह सन्देश
देते हैं की मै किसी विशेष धर्म के सापेक्ष हूँ , निरपेक्ष नहीं / कोई भी व्यक्ति धर्म से निरपेक्ष
रह ही नहीं सकता / अपनी धुरी पर पृथ्वी का घूमना उसका अपना धर्म है , जिसके फलस्वरूप
'रात-दिन ' का होना निहित रहता है / यदि पृथ्वी अपने धर्म से निरपेक्ष हो जाये तो क्या
'रात और दिन ' का होना संभव हो पायेगा ? जल अपना धर्म प्यास बुझाना छोड़ सकता है क्या ?
अग्नि अपना धर्म जलाना छोड़ सकती है क्या ?जब प्रकृति भी धर्म के सापेक्ष है तो हम
धर्म से निरपेक्ष कैसे रह सकते हैं ?
आज भी अदालतों में लोग अपनी- अपनी धर्म ग्रंथों पर हाथ रखकर ही सपथ लेते हैं, तो फिर धर्म से
निरपेक्ष कैसा ? इसलिए गर्व से कहो हमारा भारत सर्व धर्म समन्वित राष्ट्र है /सभी धर्मों का
आदर करने वाला एक मात्र महान राष्ट्र / पं चंद्र्सागर , हरिद्वार