Sunday, September 19, 2010

सद्गुरु के लक्षण

प्रश्न :वास्तविक गुरु के स्वाभाविक गुण क्या हैं ?क्या साधारण मनुष्य के लिए गुरु का चुनाब करना संभव है ?
यदि हाँ तो कैसे ?श्रीमती सुनीता चौहान , गुरुबख्श बिहार ,कनखल,हरिद्वार|
उत्तर: वास्तविक गुरु श्रोत्रिय तथा ब्रह्मनिष्ठ होना चाहिए - जो ग्रंथों का ज्ञान रखता हो तथा जो ब्रह्म में सत हो |
जो ज्ञानी निष्काम तथा निष्पाप है वाही वास्तविक गुरु तथा पथ-प्रदर्शक बन सकता है | गुरु अपने ज्ञान तथा क्षमता के द्वारा उन
मनुष्यों को आकृष्ट कर लेता है जो उसके द्वारा पथ -प्रदर्शक प्राप्ति के योग्य है | जब मनुष्य ऐसा अनुभव करे की
वह अनायास ही किसी महापुरुष की ओर आकृष्ट हो गया है , जिसकी प्रशंसा तथा सेवा किये बिना वह रह नहीं सकता ,
जो शम, करुणा तथा आध्यात्मिक अनुभव की साकार मूर्ति हो तो ऐसे महापुरुष को गुरु बनाना चाहिए |
गुरु काम ,क्रोध ,लोभ, अभिमान , इर्षा तथा स्वार्थ से मुक्त होगा |उसमे आत्मसंयम, शांति पूर्ण ज्ञान, योगाभ्यास के
साधनों का ज्ञान, संतुलित मन ,समता, उदारता ,सहनशीलता क्षमा, धैर्य आदि सद्गुण होंगे |वह अपने साधकों का
शंकायों को दूर करने में समर्थ होगा , उसके समक्ष्य शंकाएं स्वतः दूर हो जाएँगी |उसकी उपस्थिति में आप
शांति का अनुभव करेंगे , आप प्रेरणा प्राप्त करेंगे तथा समुन्नत बनेंगे | उसके समक्ष आपको अद्भुत आनंद , सुख, शांति
तथा परिवर्तन का अनुभव प्राप्त होगा |सद्गुरु आपको गोविन्द का ही रास्ता बताएगा , वह आपसे अपनी पूजा नहीं कराएगा|
अपनी पूजा करने वाला तो कालनिमी कहलाता है |संक्षेपतः गुरु ईश्वर का ही व्यक्त रूप है जो शिष्य को सदैव
प्रभु से जोड़े रखता है |