मै कथा क्यों सुनाता हूँ : १) जीवन में आनंद व खुशी कौन नही चाहता यदि सत्संग व पूजा पाठ से मन को खुशी मिलती है तो आपत्ति क्यों २) लोग शराबबंदी का आन्दोलन चलाते हैं किंतु मानता कोई नही व्यास -पीठ से एकबार आहवान मात्र से लोग पीना छोड़ देते हैं क्या इह पर्याप्त नही ३) देश में लूट व बलात्कार की घटनाएं निरंतर बढ रही हैं सत्संग के द्वारा मनुष्य की दृष्टि व सोच बदल जाती है जब काम दृष्टि राम - दृष्टि में परिणत हो जाता है तो वहा परनारी में भी माँ- बहन का दर्शन करता है क्या यह बहुत बड़ा उपकार नही ४) जितनी अवधि वह सत्संग में विराजता है उतनी अवधि तक वह बीडी -सिगरेट तम्बाकू मांस-मदिरा यहाँ तक कि वह मच्छर मारने से भी बचता है व्यक्ति को पाप करने से रोकना क्या पाप है ५) टी वी. के माध्यम से नग्न- संस्कृति के चलते यदि शास्त्र के माध्यम से भारतीय - संस्कृति का प्रचार - प्रसार किया जाय तो इसमे ग़लत क्या शास्त्र- सम्मत आचार-विचार से तो मनुष्य कि आयुष्व कि वृद्धि करके स्वस्थ जीवन जीने का मंत्र प्रदान करता है. ६) आज वृद्ध माता -पिता उपेक्षित हो रहे हैं यदि भक्ति का पाठ पढाकर उन्हें पितृभक्त व देशभक्त बनाया जाए तो क्या यह सबसे बड़ी राष्ट्रभक्ति नही होगी ७) बलि प्रथा दहेज़ प्रथा बाल विवाह आदि कुप्रथाओं को शास्त्रीय माध्यम से रोकना क्या अपराध है और यह सब मै भागवत कथा के माध्यम से करता हूँ और अन्तिम श्वांस तक करता रहूँगा मेरे इस आन्दोलन का नाम है " अंतर्राष्ट्रीय भगवत्प्रेम प्रचार समिति " इस आन्दोलन में शामिल होने के लिए संपर्क करें. शेष भगवत कृपा ! मुझे गर्व है कि मै हरि कथा के माध्यम से राष्ट्र की सेवा कर रहा हूँ चंद्रसागर |
Tuesday, February 10, 2009
मै कथा क्यों सुनाता हूँ :
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment