Monday, January 31, 2011

मनुष्य भूखे क्यों मरते हैं ?

प्रश्न: जब भगवान सबका पालन-पोषण करते हैं तो फिर मनुष्य भूखे क्यों मरते हैं ? राजीव नेगी , कोटद्वार, उत्तराखंड.
उत्तर: यह उनका प्रारब्ध है | भगवान उनके लिए अन्न की आवश्यकता नहीं समझते | जैसे वैद्य रोगी के लिए अन्न ग्रहण करना मना कर देता है तो उसका उद्द्येश्य रोगी को निरोग बनाना है | तात्पर्य हुआ की भूख से वे ही मनुष्य मरते हैं ,जिनका जीना भगवान आवश्यक नहीं समझते | वास्तब में आवश्यक वस्तु केवल परमात्मा ही हैं |सृष्टि का नियामक व संचालक परमात्मा ही हैं | अतः किस को बचाना और किसको मारना है यह निर्णय भी जीव के कर्मानुसार भगवान तय करते हैं | जैसे कहीं वर्षा होगी तो किसान को तो लाभ होगा और वहीँ कुछ बेघर लोग कष्ट भी पाएंगे | अतः प्रारब्ध अनुसार ही जीव दुःख-सुख भोगता है | भूख से मरना भी
एक साधन है, जिससे पुराने पापों का प्रायश्चित होता है |
हम अपनी दृष्टि से देखते हैं की भगवान को ऐसा करना चाहिए , ऐसा नहीं, पर भगवान हमसे ज्यादा जानते हैं ,हमसे ज्यादा दयालु हैं और हमसे ज्यादा समर्थ हैं मरना
यदि सजा होती तो जटायु व वाली मृत्यु का वरन क्यूँ करते जबकि श्रीराम ने दोनों को ही जीवन दान देने का आग्रह किया था |

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