Monday, January 31, 2011

होरी की बरजोरी

होरी की बरजोरी :
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नैनन में पिचकारी मारी ,ऐसो नटखट निपट अनारी ||
रंग गुलाल लगावत तक-तक, चुनरी भीजी मोरी सारी||
बरजोरी करी बैयाँ मरोरी ,गारी देत बढ़ावत रारी ||
समुझायो समुझै कछु नाहीं," चन्द्र" हठीलो छैल बिहारी|| पं चंद्रसागर

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