Saturday, December 5, 2009

पांच पाप क्या हैं ?

प्र ० पांच पाप क्या हैं ? उनसे मुक्ति के उपाय भी बताने की कृपा करें ?ब्र० द्विजेन्द्र मिश्र ,हरिद्वार /
उत् ० पांच पाप निम्न लिखित हैं :-
पंचसूना गृहस्थस्य चुल्ली पेशंणु पस्करा :
कण्डनी उद्कुम्भ्श्च बद्धयते यास्तु बाह्यं //
तासां क्रमेण सर्वासां निश्क्रित्यार्थम महर्षिभिः
पञ्च कृत्वः महा यज्ञः प्रत्यहम गृहमेधिनाम //
अध्यापनं ब्रम्ह यज्ञः पित्री याग्यस्तु तर्पणं ,
होमो देवो बलिर्भूतो न्रियग्योअतिथि पूजनं //

गृहस्थ के लिए ही नहीं अपितु सभी के लिए ये ऊपर कहे ५ पाप लग ही जाते हैं/
१) रसोई (पाकशाला) में भोजन बनाने और उसकी लिपाई पुताई सफाई आदि
करने में चीटियाँ एवं अन्य अल्प प्राण जीवों की हत्या हो ही जाती है /
२) चक्की में गेंहूँ , मिक्स़र या ग्राइंडर में दाना , दालें ,मसाले अदि पीसने
के दौरान भी जीव हानि होती है /
३) घर की साफ़ सफाई झाड़ू -पौंचा (उस्टिंग) करने से भी जीव हानि होती है/
4) लकड़ी या उपले (गौसे) गोमय द्वारा निर्मित इंधन में भी कीट घर बनाकर
रहते हैं/ जो हमारे द्वारा रसोई पकाने हेतु चूल्हे या भट्टी में जलने से उनकी भी
जीवन हानि होती है/
५) पेय एवं अन्य उपयोगी जल संग्रहण स्थल पर भी चीटियाँ अंडे देती हैं,और
रहती हैं जो जलाहरण काल में दब कर मर जाती हैं/
इन ५ प्रकार के पापों को हम स्वयं के जीवनयापन सुख-सुविधार्थ
जाने अनजाने में करते रहते हैं/
अतः इन ज्ञाताज्ञात ५ पापों से मुक्ति हेतु ऋषियों ने ५ महायज्ञों का
विधान बतलाया है, जिनसे हम उपरोक्त ५ पापों से मुक्त रह सकते हैं/
१) विद्या दान द्वारा
२) देवर्षि, पित्र, एवं मनुष्य तर्पण श्राद्धादी करने के द्वारा
३) हवं-यज्ञादि (दैनिक अग्निहोत्र ) द्वारा/
४) बलि वैश्वदेव (गो ग्रास,श्वान, पिपीलिका,काक,अन्य मानव( दरिद्र नारायण,भिक्षुक,साधू,ब्राह्मण
एवं अतिथि को भोजन करने के द्वारा)
५) अतिथि सत्कार द्वारा/

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