गाँव में क्रांति : ---------------- हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के सुदूर गाँव मंडवाच (गाताधार) जो की नाहन से ९७ किमी दूर 'संगडाह' तहसील और 'सांगना' डाकघर के अर्न्तगत पड़ता है/ यहाँ के वर्तमान प्रधान हैं श्री सुखराम शर्मा / २० किमी की कच्ची सड़क पार करके ब्राहमणों के इस गाँव में जब मै पहुंचा तो चारों ओर का हिमाच्छादित वातावरण देखकर मै गदगद हो उठा / औपचारिक वार्ता के पश्चात् पता चला यहाँ अभी भी घर -घर में बकरे की बलि दी जाती है और छुआ-छूत अपने चरम पर है /यहाँ तक की पित्र पक्ष्य में कोई ब्राह्मण किसी के यहाँ भोजन करना भी पसंद नहीं करता /चार भाईओं में एक पत्नी -प्रथा अभी भी इस गाँव में प्रचलित है /अर्थात चार भाइयों में कोई एक विवाह करेगा और शेष तीन भी उसे अपनी पत्नी की तरह व्यवहार करेगा /इक्कीसवीं सदीं में इस प्रचलन से मै हतप्रभ था / मैंने सोचा , क्या मै यहाँ कोई क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता हूँ ? घनघोर वर्षा में मै आद्ध्यात्म के प्रति लोगों का रुझान देखकर आश्चर्य चकित था / मैंने सोचा भागवत कथा में कोई नहीं आएगा किन्तु पूरा पंडाल खचाखच भरा था / लोग भीगते हुए कथा श्रवण कर रहे थे / कथा के चौथे दिन अर्थात १०-सितम्बर-२००९ को कथा में गाँव की इन सामाजिक बुराईयों को को मिटाने का मुद्दा उठाया / उसी दिन रात्री में गाँव के प्रधान ने एक सभा का आयोजन किया और किसी घर में बकरा न काटने का संकल्प लिया गया/ घर-घर में शौचालय बनाने का संकल्प लिया गया / आपस में ऊँच-नीच का भेद-भावः मिटाते हुए छुया-छूत मिटाने का तत्काल निर्णय लिया गया और वह भी सर्व-सम्मति से / कन्यायों को पाठशाला भेजने का निर्णय भी सर्व- सम्मति से लिया गया और इसके लिए मै उस प्रधान जी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ / एक बकरे की हत्या से लगभग प्रत्येक घर में १० हज़ार रुपये का खर्च होता था / एक सीजन में लगभग ५ बकरे की बली दी जाती थी /इस हिसाब से अब प्रत्येक परिवार लगभग पचास हज़ार रुपये बचा सकता है /एक नयी क्रांति का सूत्रपात किया गया / पचास हज़ार रुपये का बचत किया गया तो पांच वर्ष में ढाई लाख का मूलधन और ब्याज मिलाकर करीब चार लाख का बचत कर सकते हैं / इतनी राशि उस गाँव के लिए दो कन्याओं के विवाह के लिए पर्याप्त है / यहाँ बहुतायत में आलू- मटर और अखरोट की खेती की जाती है/ पहाडी आलू का मैदानी क्षेत्रों में बिशेष मांग होता है /और इसका यहाँ के किसानों को अच्छा मूल्य भी प्राप्त होता है /अस्तु ! ऐसा हर पहाडी गाँव में हो जाए तो विकास की एक नयी गाथा लिख सकते हैं / भागवत के अंतिम दिन नाहन से पधारे प्रख्यात योगाचार्य पं श्री देवी सहाय शास्त्री ने अंतर्राष्ट्रीय ब्राह्मण सभा का सम्मलेन किया जिसमे गाँव में योग भवन बनाने का निर्णय लिया गया , जिनके निर्देश में ग्राम-वासिओं को योग सिखाकर पूर्ण स्वस्थ बनाने का संकल्प लिया गया / इस पवित्र कार्य के लिए एक ग्रामीण भक्त पं कंठी राम ने एक बीघा जमीन दान देने का एलान कर दिया / मै समस्त ग्राम वासियों को साधुवाद देता हूँ/ पं चंद्रसागर |
Wednesday, September 16, 2009
गाँव में क्रांति :चंद्रसागर
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